आज लोग कहते है कि भारत का संविधान या कानून लिखने वाले बाबा भीम राव अम्बेडकर की जयंती है !!
कौन सा कानून था वो पता नहीं शायद यही कानून जिसने आम आदमी के हाथ और पांव
सब बाध दिए है और अमीरों को कानून तोड़ने के कई उपाय दे रखे है ! शायद मै
निंदा कर रहा हु ? पर सोचो जरा जहाँ आम आदमी की जब जाहे तलाशी ली जा सकती
है वही नेता और कुछ खास अफसर जब जाहे तब बिना किसी तलाशी के देश से बाहर जा
सकता है हमारे कानून को इतनी ताकत नहीं है की उससे पूछ सके की वो क्या ले
जा रहा है या क्या बाहर से ला रहा है (क्या ये कानून के नाम पर प्रश्न
चिन्ह नहीं है) ? क्या ये कानून का दुरुपयोग नहीं है की एक कातिल , एक
चोर , एक भ्रष्टाचारी , एक बल्ताकारी , एक देश द्रोही (भारत माँ की जय
बोलने को पाप बोलने वाला) और भी कई पाप करके भी पापी अपने पाप के दंड से
बचने के लिए के लिए कानून का मजाक बना देता है केस कोर्ट के तारीखों में
उलझ कर रह जाती है और तब तक पापी किसी ना किसी कौम (जाति) विशेष का हीरो बन
जाता है ! क्या यही है मेरे देश का कानून या क्या ऐसा ही होना चाहिए मेरे देश का कानून सोचा है कभी किसी ने ?
हमारे देश के दलित वर्ग में विशेष
रूप से दलित हितो के लिए संघर्ष करने के लिए और संविधान के निर्माणकर्ता के
रूप में डॉ आंबेडकर को याद किया जाता हैं.आज़ादी के बाद दलित वर्ग का विशेष
रूप से राजनीतिकरण हुआ हैं. दलित वर्ग को एक वोट बैंक के रूप में मान्यता
मिलने से दलित वर्ग का विकास तो हुआ हैं , उसकी आवाज़ भी सशक्त हुई हैं
परन्तु समय के साथ वह राजनेताओं के लिए एक वोट बैंक मात्र बन कर भी रह गया
हैं जिसे केवल चुनावों के समय भुनाया जाता हैं. राजनीती के सीडियां चढ़ते
चढ़ते दलिती वर्ग कुछ ऐसी सत्य बातों को भूल गया हैं जोकि उसके अस्तित्व के
लिए, उसकी प्रगति के लिए , उसकी सम्पन्नता के लिए अत्यंत आवश्यक हैं.
परन्तु समय के साथ वह राजनेताओं के लिए एक वोट बैंक मात्र बन कर भी रह गया हैं||
जवाब देंहटाएंसही तथ्य |
आभार ||
बड़े परिवर्तन की जरूरत है.
जवाब देंहटाएंअंबेडकर का संविधान हिँदु विरोधी है ने हिँदुतत्व पर आघात कीया
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