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देश के जवान शहीद क्यों हो रहे हैं?

Naib Subedar Paramjit Singh (left) and Head Constable Prem Sagar, the two jawans killed and their bodies mutilated by Pakistan army
पाकिस्तान ने दो भारतीय जवानों की बर्बरता से हत्या की , अगर गाय , तलाक़ , हिन्दू मुस्लिम से पिछले तीन वर्षों मे दिल भर गया है तो देश भी देख लिया जाए , क्यो पिछले 40 दिन में 45 जवान शहीद हो गए हैं और आज हद तब हो गई जब हमारे दो सैनिकों को मार कर आतंकियों ने शव को बर्बरता पूर्वक क्षत विक्षत कर दिया। कुछ ही देर में एक कैश वैन पर हमला कर सिपाहियों को मौत के घाट उतार दिया और हथियार भी लूट लिया।

सरकार की नीतियां पूरी तरह से फ़ेल रही है , भारत में मोर्चे पर मारे जा रहे जवानों और अफ़सरों की जान की कीमत इतनी ही है कि शहीद शहीद करने का एक ढोंग सा होता जा रहा है। मंत्री जाते हैं, सम्मान राशि दी जाती है और टीवी पर कवर होता है। ये तो होना ही चाहिए बल्कि इससे भी ज़्यादा होना चाहिए। मगर शहादत के सम्मान का यह मतलब नहीं कि हम नीतियों पर सवाल न उठायें। उनकी मौत किसकी ग़लती से हुई, उस पर सवाल न करें। कई बार लगता है कि ये शहीद शहीद इसलिए भी होता है ताकि नीतियों और ग़लत नीतियों पर सवाल न उठे।

ज़ाहिर है हम सब कुछ स्लोगन में बदल देने में यकीन रखते हैं। स्लोगन आ गया चलो मान लो काम हो गया। सिर्फ शहीद-शहीद करना शहादत का सम्मान नहीं है। कड़ी निंदा और कड़ी कार्रवाई से आगे बात होनी चाहिए। सिर्फ यह बोल देना या दिखाने के लिए दो चार साहसिक कार्रवाई कर देने से यह दावानल रूकने वाला नहीं है। अब सब कुछ टीवी के लिए हो रहा है। एकाध कार्रवाई ऐसी कर दी जाएगी जिसे लेकर देश झूम जाएगा, उसके बाद फिर वही स्थिति बन जाती है। सर्जिकल स्ट्राइक का कितना तमाशा बनाया गया, मिनट भर में इसे टीवी और रैलियों में ले जाया गया। अब कोई बात ही नहीं कर रहा है कि हमारी सीमा में सर्जिकल स्ट्राइक कैसे हो रही है। कैसे आतंकी सैन्य शिविरों पर या उसके आस-पास हमला कर दे रहे हैं। हमें पूछना चाहिए कि आखिर हमारे जवान शहीद क्यों हो रहे हैं। अफसर क्यों मारे जा रहे हैं। सवाल करने का मतलब यह नहीं कि आप सेना या सरकार को कमतर करते हैं, इससे तो सरकारों की जवाबदेही बेहतर होती है। आख़िर जिसका बेटा मारा गया है वो भी समझ रहा है कि क्या गड़बड़ी हो रही है।

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