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महान स्वतंत्रता सेनानी और क्रांतिवीर स्व. चन्द्रशेखर आझाद की आज पुण्यतिथि

Source: IBTL 
महान स्वतंत्रता सेनानी और क्रांतिवीर स्व. चन्द्रशेखर आझाद की आज पुण्यतिथि है
उनको सलाम जिनकी कुर्बानी ने भारत का मान रखा,
अपनी लाशें बिछा नींव में, ऊपर हिन्दुस्तान रखा .... ।

महान देशभक्त चंद्रशेखर आजाद 15 वर्ष की अल्पायु में ही अपनी शिक्षा अधूरी छोड़कर गांधी जी के असहयोग आंदोलन में कूद स्वतंत्रता संग्राम के अनन्य योद्धा के रूप में ख्याति प्राप्त किए थे। आजाद का जन्म 23 जुलाई को हुआ था। स्वतंत्रता संग्राम में भाग लेने के कारण उन्हें पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया था। अदालत में जज के प्रश्नों का उत्तर आजाद ने बड़ी निर्भीकता से दिया था। जज ने पूछा तुम्हारा नाम? जवाब था आजाद। उनके उत्तर से गुस्साए जज ने 15 बेंत मारने की सजा दी। प्रत्येक बेंत पड़ते ही आजाद भारत माता की जय तथा महात्मा गांधी की जय का उद्घोष किए। आजाद यह नारा तब तक लगाते रहे जब तक कि वह बेहोश नहीं हो गए।

उन्होंने संकल्प किया था कि वे न कभी पकड़े जाएँगे और न ब्रिटिश सरकार उन्हें फाँसी दे सकेगी। इसी संकल्प को पूरा करने के लिए इसी पार्क में उन्होंने स्वयं को गोली मारकर मातृभूमि के लिए प्राणों की आहुति दी। आजाद आजीवन ब्रह्मचारी रहे। आजाद का जन्म स्थान भाबरा अब 'आजादनगर' के रूप में जाना जाता है।

जब क्राँतिकारी आंदोलन उग्र हुआ, तब आजाद उस तरफ खिंचे और 'हिन्दुस्तान सोशलिस्ट आर्मी' से जुड़े। रामप्रसाद बिस्मिल के नेतृत्व में आजाद ने काकोरी षड्यंत्र (1925) एवं साण्डर्स गोलीकांड (1928) में सक्रिय भूमिका निभाई। अलफ्रेड पार्क, इलाहाबाद में 1931 में उन्होंने रूस की बोल्शेविक क्राँति की तर्ज पर समाजवादी क्राँति का आह्वान किया। आजाद ने भगत सिंह, राजगुरु, सुखदेव व अन्य क्रांतिकारियों के साथ देश की आजादी के लिए संगठित हो प्रयास शुरू किए। काकोरी कांड के बाद जब आजाद 27 फरवरी को प्रयाग के अल्फ्रेड पार्क में बैठे थे तभी उन्हें घेर लिया गया।

एक घंटे तक दोनों तरफ से गोलियां चलती रही। एक ओर पूरी फौज और दूसरी तरफ अकेले आजाद। जब गोलियां खत्म होने लगीं तो आखिरी गोली अपनी कनपटी पर मारकर आजाद ने अपना नाम आजाद सार्थक करते हुए शहीद हो गए। डा. रविंदर ने कहा कि चंद्रशेखर आजाद जैसे स्वतंत्रता संग्राम के महानायक का बलिदान देशवासियों व विशेष कर युवाओं के लिए प्रेरणास्त्रोत है। उन्होंने कहा कि आजाद ने देश के युवाओं में राष्ट्रभक्ति की भावना उजागर की।

'हमें तो फ्रंटियर से लेकर बर्मा तक, नेपाल से लेकर कराची तक के हर हिन्दुस्तानी को साथ लेकर एक तगड़ी सरकार बनानी है।' -आजाद।

माँ हम विदा हो जाते हैं, हम विजय केतु फहराने आज।
तेरी बलिवेदी पर चढ़कर माँ निज शीश कटाने आज॥

मलिन वेश ये आँसू कैसे, कंपित होता है क्यों गात?
वीर प्रसूति क्यों रोती है, जब लग खंग हमारे हाथ॥

धरा शीघ्र ही धसक जाएगी, टूट जाएँगे न झुके तार।
विश्व कांपता रह जाएगा, होगी माँ जब रण हुंकार॥

नृत्य करेगी रण प्रांगण में, फिर-फिर खंग हमारी आज।
अरि शिर गिरकर यही कहेंगे, भारत भूमि तुम्हारी आज॥

अभी शमशीर कातिल ने, न ली थी अपने हाथों में।
हजारों सिर पुकार उठे, कहो दरकार कितने हैं॥

"आजाद भारत का जो ये मंदिर खडा़ हैं
शेखर उसकी बुनियादो के नीचे गड़ा हैं
आजादी के कारण जो गोरो से कभी लड़ी है
शेखर की पिस्तोल किसी तीर्थ से बहुत बड़ी है"

- चंद्रशेखर आजाद के वीर रस की काव्य झलकियाँ।
दुश्‍मनो की गोलियो का सामना किया
आजाद ही जिया वो आजाद ही मरा ।।
चंद्रशेखर आज़ाद जी की पुण्यतिथि पर उन्हें आज समाज परिवार का शत शत नमन

7 टिप्‍पणियां:

  1. 100-200 की भीड़ से घिरे रहने वाले "कायरता के पुजारी" कह गए
    कोंग्रेसियो से मेरे नाम का जाप करना और आजाद, भगत, सावरकर, गोडसे, बोस, लाल, बाल, पाल जैसे क्रांतिकारियों का विरोध करना !
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    गुलाम कोंग्रेसियो ! करोडो रु की AD अखबारो मे देने से कोई जिंदा
    नही रहता.... लोगों के दिलो मे जो जिंदा है उसे AD की क्या जरुरत ?

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  2. बाती है देह अपनी लहू तेल बन जलेगा
    मां भारती का वैभव चिर काल तक रहेगा ..


    चंद्रशेखर आज़ाद भारतीय स्वातंत्र्य समर का एक ऐसा नाम है जो भीरुता को झकझोर देता है प्रचंड साहस , शौर्य , बुद्धि चातुर्य की प्रतिमूर्ति मां भारती के सच्चे सपूत को उनकी पुण्यतिथि पर सहस्त्र कोटि नमन ..जय मां भारती :)

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  3. है लिये हथियार दुश्मन ताक मे बैठा उधर,
    और हम तैयार हैं सीना लिये अपना इधर|
    खून से खेलेंगे होली गर वतन मुश्किल में है,
    सरफरोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है|

    जरा सोचिये! क्या यही वो आज़ादी है जिसके लिए चंद्रशेखर आजाद और उनके जैसे जाने और भी कितने शहीदों ने अपनी जान की आहुति दी?

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  4. जो भी लिखना किस्सा-ए-आबाद लिखना,
    दिल की कलम से नया इन्कलाब लिखना,
    देख ना पाए बेशक हम आज़ादी मगर,
    पर थी इस दिल की ये तमन्ना बेताब लिखना,
    कर दिया हे आगाज़, जो पहुंचे अंज़ाम तक,
    तो इस शहादत पे कुछ सवाब लिखना,
    जो चड गए सूली पर वतन की खातिर,
    नज्मो में जरा उनका भी हिसाब लिखना,

    पर जब भी लिखना ऐ वतन-ए- हिंद, मुझको एक परिंदा "आज़ाद "लिखना ..............

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  5. काँप उठा है दुश्मन देखो
    गगनभेदी हुंकारों से
    डरो न बाहर आओ तुम
    लड़ना है मक्कारों से
    आस्तीन में सांप पलें हैं
    अब इनको मरना होगा
    उठो जवानों निकलो घर से
    शंखनाद अब करना होगा
    देखो घना कुहासा छाया
    कदम संभलकर रखना होगा
    वीर शिवा, राणा की ही
    तो हम सब संतानें हैं
    कायर नहीं , झुके न कभी
    हमने परचम ताने हैं |

    स्वामी रामदेव जी

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  6. जाग उठा है देश ये सारा,दृढ संकल्प की बारी है,
    स्वाभिमान जगा भारत का,नवयुग की तैयारी है...

    स्वामी रामदेव जी के गीत से
    http://youtu.be/TO_zR5sDLWU

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  7. अमर शहीद चंद्रशेखर आज़ाद की मौत के पीछे भी कहीं वही लोग तो नहीं जिम्मेदार, जिन्हें लाल बहादुर शास्त्री की मौत और सुभाष चंद्र बोस के असमय गायब होने का जिम्मेदार माना जाता है... 27 फरवरी 1931 को जिस दिन उनकी मौत अंग्रेजों से मुठभेड़ में हुई, उसी दिन वो सवेरे शहीद भगत सिंह की सजा कम करवाने के लिए जवाहर लाल नेहरू से आनंद भवन में मिलने गए थे, आज भी ये सवाल अनसुलझा है कि आखिर चंद्रशेखर आज़ाद की मुखबिरी ......किसने की थी.. किसने बताया कि वो इलाहाबाद में मौजूद हैं, इस मामले में लखनऊ के सीआईडी भवन में एक 80 साल पुरानी सीक्रेट फाइल आज भी धूल खा रही है.. क्या कभी हम जान पाएंगे कि दुनिया के इस सबसे तेज़ दिमाग क्रांतिकारी की मौत के पीछे कौन था ?... चंद्रशेखर आज़ाद की पुण्यतिथि के दिन हम ये सवाल उठा रहे हैं, हमारी यही कोशिश है कि आज का भारत वैसा भारत बने जैसी कल्पना शहीद भगत सिंह और चंद्रशेखर आज़ाद जैसे क्रांतिवीरों ने की थी..

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