भूखे देश का नंगा सच भूख व गरीबी का असली चेहरा विकास की असली तस्वीर
आपके स्क्रीन पर दिख रही तस्वीर (13 अप्रैल 2012) बरेली की है।।
"हर सेकेंड भूख से एक व्यक्ति की मौत हो जाती है.
यानी हर घंटे 3600 लोगों की मौत भूख से होती है.
यानी 86400 लोगों की मौत भूख से होती है.
यानी हर साल 3,15,3600 लोगों की मौत भूख से होती है.
यानी 58 प्रतिशत मौते भूख की वजह से होती है"
यह द्रश्य देखकर शायद आपको अचम्भा हो लेकिन यह शहर के उस स्थान का है जहाँ से बरेली शहर के अधिकारीयों एवं नेताओ का गुजरना आम है।
जनता के हक की लड़ाई लड़ने के नाम पर वोट लेकर संसद मे पहुचने वाले नेता बेईमान साबित हो रहे है।
पहले राजनीती समाजसेवा के लिए की जाती थी अब तो नेता बाकायदा अपना व्यवसाय बताने लगे है... एक नहीं सेकड़ों एन.जी.ओ. ऐसी है जो गरीबों के कल्याण के नाम पर अनुदान लेकर अपनी जेबे गरम कर रहे हैं।
गरीबों को कितना लाभ मिल ये दृश्य स्पष्ट कर रहा है। यह बात अब दूर तलक जरूर जाएगी क्योकि सब अपना अपना पेट भरने में लगे हुए हैं आम जनता से किसी को कोई नहीं मतलब है।
इन्सान को इन्सान के साथ खाना देखना कोई आम बात नहीं है लेकिन पेट की आग बुझाने के लिए बचा खाना सड़क पर डाला गया हो गरीब उठा कर खाने लगे ... इसी बीच गो माता आ जाएँ और वो भी खाने का लुफ्त उठाने लगे .... इन्सान तो इन्सान को ही भूलता जा रहा है लेकिन बेजुवान जानवर कितने समझदार हैं....जिसे इस इन्सान की पेट की आग देखकर तरस आ गया और दोनों साथ साथ खाने लगे।
सुना है इन्सान के दुःख दर्द का इलाज मिला है
क्या बुरा है अगर ये अफ़वाह उड़ा दी जाए
हमारे देश मे ये बिडम्बना है एक आदमी महीने भर में बमुश्किल 3000.00 रूपये ही कमा पाता है वही दूसरा आदमी तीन लाख रुपये वेतन ले रहा है और साथ में बिभिन्न सुबिधाओं का आनंद भी उठा रहा है फिर भी करोड़ों के घोटाले कर रहा है लेकिन अभी भी भूखा है..... इसीलिए गरीबों की परवाह किये बगैर सिर्फ अपने लिए सोचता है...
किसी ने सच ही कहा है-
वो भूख से मरा था,फ़ुटपाथ पे पड़ा था
चादर उठा के देखा तो पेट पे लिखा था
सारे जहां से अच्छा,सारे जहां से अच्छा
हिन्दुस्तां हमारा,हिन्दुस्तां हमारा
"हर सेकेंड भूख से एक व्यक्ति की मौत हो जाती है.
यानी हर घंटे 3600 लोगों की मौत भूख से होती है.
यानी 86400 लोगों की मौत भूख से होती है.
यानी हर साल 3,15,3600 लोगों की मौत भूख से होती है.
यानी 58 प्रतिशत मौते भूख की वजह से होती है"
यह द्रश्य देखकर शायद आपको अचम्भा हो लेकिन यह शहर के उस स्थान का है जहाँ से बरेली शहर के अधिकारीयों एवं नेताओ का गुजरना आम है।
जनता के हक की लड़ाई लड़ने के नाम पर वोट लेकर संसद मे पहुचने वाले नेता बेईमान साबित हो रहे है।
पहले राजनीती समाजसेवा के लिए की जाती थी अब तो नेता बाकायदा अपना व्यवसाय बताने लगे है... एक नहीं सेकड़ों एन.जी.ओ. ऐसी है जो गरीबों के कल्याण के नाम पर अनुदान लेकर अपनी जेबे गरम कर रहे हैं।
गरीबों को कितना लाभ मिल ये दृश्य स्पष्ट कर रहा है। यह बात अब दूर तलक जरूर जाएगी क्योकि सब अपना अपना पेट भरने में लगे हुए हैं आम जनता से किसी को कोई नहीं मतलब है।
इन्सान को इन्सान के साथ खाना देखना कोई आम बात नहीं है लेकिन पेट की आग बुझाने के लिए बचा खाना सड़क पर डाला गया हो गरीब उठा कर खाने लगे ... इसी बीच गो माता आ जाएँ और वो भी खाने का लुफ्त उठाने लगे .... इन्सान तो इन्सान को ही भूलता जा रहा है लेकिन बेजुवान जानवर कितने समझदार हैं....जिसे इस इन्सान की पेट की आग देखकर तरस आ गया और दोनों साथ साथ खाने लगे।
सुना है इन्सान के दुःख दर्द का इलाज मिला है
क्या बुरा है अगर ये अफ़वाह उड़ा दी जाए
हमारे देश मे ये बिडम्बना है एक आदमी महीने भर में बमुश्किल 3000.00 रूपये ही कमा पाता है वही दूसरा आदमी तीन लाख रुपये वेतन ले रहा है और साथ में बिभिन्न सुबिधाओं का आनंद भी उठा रहा है फिर भी करोड़ों के घोटाले कर रहा है लेकिन अभी भी भूखा है..... इसीलिए गरीबों की परवाह किये बगैर सिर्फ अपने लिए सोचता है...
किसी ने सच ही कहा है-
वो भूख से मरा था,फ़ुटपाथ पे पड़ा था
चादर उठा के देखा तो पेट पे लिखा था
सारे जहां से अच्छा,सारे जहां से अच्छा
हिन्दुस्तां हमारा,हिन्दुस्तां हमारा
माँ पत्थर उबालती रही कड़ाही में रात भर
बच्चे फ़रेब खा कर चटाई पर सो गए
चमड़े की झोपड़िया में आग लगी भैया
बरखा न बुझाए बुझाए रुपैया
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