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नोट बंदी से आम जनता को क्या हासिल होगा?

नोट बंदी से आम जनता को क्या हासिल होगा?

यह सवाल जनता के मन में जरूर है। इस फैसले से क्या हमको ईमानदारी का प्रमाण पत्र मिलेगा या देश आर्थिक विकास के बुलंदियों को छुएगा। भ्रष्टाचार खत्म हो जायेगा ! बेरोजगारी ख़त्म हो जायेगी! किसान समृद्ध हो जायेगा ! भ्रस्टाचारी कंगाल हो जायेंगे ! देश में राम राज्य आ जायेगा ! देश में गरीबी ख़त्म हो जायेगी ! आतंकवाद ख़त्म हो जायेगा ! महंगाई कम हो जायेगी !

देश की समस्याओ को लिखने लगु तो जाने कितने लाख शब्दों में भी कम ही पड़ जायेंगे। खैर छोड़िये मुद्दे पे आते है यह सवाल सिर्फ काले धन तक सिमित नहीं है यह हम सबकी जिंदगी की जरुरत से भी जुड़ा है।

एक आम आदमी को क्या चाहिए रोटी कपडा और मकान। जिसके लिए वो दिन रात मेहनत करता है और अपनी जरुरतो के पीछे भागता है।

लेकिन ऐसी क्या वजह है जो उसकी जरुरतो के बीच में बाधा बनती है । यहाँ गौर करने वाली बात है कि हमारी जरुरतो के बीच में बाधा बनकर राजनीति आती है वह हमको सबकुछ पूरा करने का स्वप्न ऐसे दिखाती है जैसे अब हमें चिंता करने की कोई बात नहीं सब ठीक करने वाले देश चलाने लगे है ।

जागरूक भारत : सच यह है की जनता सबकुछ समझती है कुछ देर से ही सही । केवल किसी भी मुद्दे की हवा बनाकर राजनितिक पार्टियां फायदा उठा ले जाती है यह हमारा भावनात्मक खोखलापन ही है जो हम किसी की जोशीले बातो में बहने लगते है।

मुद्दे की वास्तविकता को समझना जरुरी है । केवल भावनात्मक पहलु में ही सिमट जाना आपको सत्य से भटका सकता है।

नोट बंदी के बहुत सारे फायदे बताये जा रहे है लेकिन इसका एक पहलु यह भी है की लोगो को आर्थिक परेशानी का सामना करना पड़ रहा है । यह गरीबो के लिए ज्यादा आफत बनकर उभरी है। किसी की पत्नी बीमार है कोई अपने बच्चे का इलाज नहीं करा पा रहा है। गरीब बुजुर्ग की आँखों का दर्द यही बया करता है की उस पर कैसी आफत आ गई है।

कुछ लोग बोलेंगे बड़ा चढ़ा कर बताया जा रहा है सब लोग फैसले से खुश है और जो खुश नहीं है वो सब काले धन वाले है या फिर विपक्षी पार्टी के बताये जा रहे है।

अगर ऐसा है तो जो कमजोर लोग इसका विरोध करना भी चाहे तो डर के कारण नहीं कर पाएंगे।

समस्या है यह हकीकत है।सिर्फ बयानों पर ही विश्वास नहीं किया जा सकता हकीकत को समझना पड़ेगा । हकीकत सोशल मीडिया से नहीं पता चलेगा आम आदमी के जज्बातों को टटोलकर देखिये आप खुद समझ जायेंगे। केवल आप फैसले के समर्थन करने या न करने का सवाल करेंगे तो वह देश के मजबूत प्रधानमंत्री को झुठलाने का साहस नहीं कर पायेगा ।

आज मै यह बात आपके समक्ष इसलिए रखना चाहता हु क्योंकि जो माहौल देश में निर्मित किया जा रहा है वह भयावह है। आम आदमी इस राजनीति की भेंट चढ़ रहा है।
और करोड़पति अरबपति मौज करते हुए आम जनता की बेचारगी पर हँसते हुए प्रतीत होते है।

120 करोड़ के देश में कोई भी फैसला एक झटके में ले लेना साहसिक कदम नहीं जोखिम भरा है जिसमे आपकी सोची गई बात आपके फैसले के अनुरूप जाती नहीं दिखाई पड़ती।

आपसे उम्मीद है की आप स्थिति को समझेंगे और धैर्यपूर्वक देशहित में अपना योगदान जरूर करेंगे। मेरा मकसद आपको मुद्दे पे ही रखने का था आप भटकाव में न भटकिये।स्थिति पर अपनी नजर बनाये रखिये।

देश बदल रहा है तो आपका बदलना भी जरुरी है।

जय हिंद

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