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मेरा दर्द ना जाने कोए... BSF जवान ने बयां किया दर्द, वीडियो वायरल

सेना के नाम पर राजनितिक फायदा उठाने वाले 56 इंच धारी इस वीडियो पर क्यू खामोश है? विपक्ष के बयानों का जवाब तो तुरन्त दुसरे दिन के अपने भाषणों में दे देते है। अब इस जवान का जवाब भी तो दीजिये... जो हमारी भ्रष्ट व्यवस्था का शिकार है। यदि सर्जिकल स्ट्राइक का पूरा लाभ मिल गया हो तो, सेना को कम से काम ढंग की दाल रोटी की व्यस्था कर दीजिये, और वो फर्जी रास्ट्रवादी जो बैंको की लाइन में ना लगने वालो को राष्ट्रविरोधी कहते फिर रहे थे! वही लोग तेज बहादुर यादव को मानसिक अस्वस्थ बता रहे है, अब उसके पक्ष मे खडे होने वालो को देशदोही बतलाने की मुहिम का इंतजार ज्यादा देर नही करना पड़ेगा। काजू के आटे की रोटियां और तीस हजार रूपये प्रति किलोवाली मशरूम की सब्जी खाने वाले बातबहादुर को तेज बहादुर की तकलीफ और मेरी बाते समझ में नही आयेगी.

आज तंत्र मे अफ़सरशाही की जड़े मज़बूत है। यह कभी न ठीक होने वाले मर्ज की तरह है। BSF के जवान तेजबहादुर यादव द्वारा जारी किया गया वीडियो तो आफसरशाही का सिर्फ नमूना मात्र है। सारी सुविधाएँ उच्चअधिकारियों के लिये ही आवंटित है। आप लोगों मे से यह शायद बहुत कम लोग जानते होंगे की 8 से 12 घंटे ड्यूटी करने के बाद जवान अफसरों के घरेलू काम-काज भी करते है, जैसे-सब्जी लाना, राशन लाना, उनके बच्चों को पार्क घुमाना आदि। यह एक प्रथा सी बन गयी है की जो आवाज़ उठाये उसकी गलतीयां ढूँढ़कर उसे बदनाम कर दिया जाये ताकि लोगों का ध्यान मौलिक प्रश्न से हट जाये। जब तेजबहादुर यादव के तरफ़ से वीडियो वायरल हुआ तो वहाँ के अधिकारी उसके आचरण के बारे मे बताने लगें... तेजबहादुर को आशा होगी की उसकी बात आम लोगो तक पहुचेगी, बहुत हद तक पहुची भी। लेकिन, बात है सिस्टम के फेलियर की। चाहे वो आर्म्ड फोर्सेज हो या सिविल हर जगह भ्रष्टाचार में लिप्त उच्च अधिकारी, नेता, दलाल उन लोगो का जीना मुहाल कर देते है जो कानून के मुताबिक और सचाई के साथ काम करना चाहते है।

मीडिया तभी इन बातों प ध्यान देता है जब ऐसे आवाज उठाने वाले लोगो के साथ कुछ अनहोनी होती है। शायद तेज बहादुर यादव ने इस अनहोनी को भांपते हुए ही अपनी बात को सोशल मीडिया Facebook के माध्यम से onrecord लाने की कोशिश की। एक बात गौर करने लायक है कि BSF के अफसरों ने कहा है कि सबकुछ ठीक ठाक है, नही तो और लोग भी सामने आते। ये ठीक नोटबन्दी को जस्टिफाई करनेवाला जैसा आर्गुमेंट है।
तेजबहादुर ने तो मसाल जला दी है, संभव है उसके जैसे और जवान या तो बाथरूम में रो रहे होंगे, या फिर कोई और कदम उठाते होंगे, जो हम अक्सर अखबारों में पढ़ते है।

मैं अपने घोर व्यक्तिगत अनुभव से कह रहा। इस तरह के भरस्टाचार (केंद्र सरकार खासकर) बिना टॉप लेवल के involvement या knowledge, जिसमे अफसर और मंत्री भी शामिल है, के हो ही नही सकता। Nexus हर deptt में हावी है। जो लोग आवाज उठाते है वो हासिये पे धकेल दिया जाते है, हर दिन संघर्ष करना पड़ता है अपनी डिग्निटी बचने के लिय। बिभाग हर तरीके से प्रताड़ित करता है, झूठे आरोप में फंसाया जाता है, ACR स्पोइल कर दिया जाते है। अंत में आपको delinquent घोषित कर दिया जाता है।

तेज यादव के विरोध की आवाज को सेलिब्रेट कीजिए, ऐसे Heroic Act बार बार नही होते!!


रविशंकर यादव
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