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(सुभाष चन्द्र बोस की 115 वी जयंती पर विशेष) भारत को अंग्रेजो से आजाद करवाने के लिए उन वीरो ने शहादत दी थी
(सुभाष चन्द्र बोस की 115 वी जयंती पर विशेष) भारत को अंग्रेजो से आजाद करवाने के लिए उन वीरो ने शहादत दी थी
जरा सोचिये.....
आज के देश के हालत देख कर सोचता हु क्या आज के दिन के लिए ही भारत को अंग्रेजो से आजाद करवाने के लिए उन वीरो ने शहादत दी थी, क्या आज का दिन देखने के लिए ही भगत सिंह ने फांसी और सुभाष बाबू ने गुमनामी को चुन लिया था।
क्या इस लोकतंत्र के लिए इतना बड़ा संघर्ष इतनी बड़ी जद्दोजेहद, मुझे तो नहीं लगता की उन्होंने इन सब की मात्र कल्पना भी की होगी। आज का युवा, कहते हुए बड़ा दुःख हो रहा है की क्या... यह युवा उस ही देश का युवा है जहां के युवाओं ने बलिदानों के नए कीर्तिमान ही रच डाले। बड़े अफ़सोस के बात है की भगत सिंह के देश में आज के युवा का आदर्श सलमान, शाहरुख़, और आदि नाचने गाने वाले है । बलिदानों की इस धरती के युवाओ को आज देशप्रेम की बातो की जगह फ़िल्मी गपशप ने ले ली है । बहुत पीड़ा होती है यह देख कर की आज देशभक्ति से ओत-प्रोत गीतों की जगह मुन्नी और शीला जैसे भौंडे गानों ने ने ले ली है। आज देश चिंतन की बातो की जगह युवाओ को अपने गर्लफ्रेंड और प्रेमिकाओ को महंगे तोहफे देने की चिंता है, आज २३ मार्च और २६ जनवरी की जगह १४ फरवरी का बड़ी बेसब्री से इन्तेजार किया जाता है । समझ में नहीं आता ये आधुनिकता है या फिर पथभ्रष्टता। मैंने कहीं पड़ा था कि १-२ वर्ष पूर्व दिल्ली विश्वविद्यालय में २३ मार्च को एक कवि सम्मलेन रखा गया, और वहाँ एक कवि ने पूछ लिया कि २३ मार्च को क्या हुआ था, तो वहाँ भारत के सबसे बेहतरीन विश्वविद्यालय के छात्र छात्राओ को मानो सांप सा सूंघ गया था । क्या केवल महंगे कपड़ो, लेटेस्ट मोबाईलों, अच्छे विद्यालयों में पड़ने मात्र से हम सफल और कामयाब हो सकते है, क्या केवल अपनी संस्कृति, और इतिहास मात्र का मजाक उड़ाने मात्र से हम आधुनिक बन जाते है । कभी सोचा है अगर भगत सिंह, सुभाष बाबू इन सभी लोगो ने कभी ऐसा ही किया होता, तो आज हम कहाँ होते । अगर फांसी पर झूलने कि जगह यह भी कहीं अपनी प्रेमिका कि बांहों में झूल रहे होते तो हमको यह आजादी मिल पाती, अगर उन हुतात्माओ ने खुद को इस बलिदान के वेदी पर हवन न किया होता तो हम और आप आज कहाँ होते....? कभी सोच कर देखिये कि कैसा भयावह दृश्य होता...........?
कहते हुए बहुत ही अफ़सोस हो रहा है लेकिन आज के युवाओ से युवाओ वाली बातें ही खत्म हो गयी है ।
अंत में मैं बस इतना ही कहना चाहूँगा कि ...................
अगर आपके ह्रदय में वर्त्तमान के लिए पीड़ा और भविष्य के लिए स्वपन नही है ,अगर आपके ह्रदय में वर्तमान की गलत नीतियों और व्यवस्था के खिलाफ आक्रोश नहीं है, अगर आप को देश के बारे में सोच कर रात को नींद नहीं आती, अगर आप का मन इन भ्रष्ट नेता और नौकरशाहों को मुहँ पर तमाचा मारने के लिए व्याकुल नहीं होता, तो मेरे दोस्तों मुझे अफ़सोस है की आप कुछ भी हो लेकिन युवा नहीं हो ।
।। सुभाष चन्द्र बोस की 115 वी जयंती पर सुभाष बाबू को मेरा और देश के सभी युवाओ का शत शत नमन ।।
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