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महान देशभक्त "नेताजी सुभाष चन्द्र बोस जी" की 115वीं जयंती 23 जनवरी 2012 को उन्हें शत्-शत् नमन....!!
"तुम मुझे खून दो में तुम्हे आज़ादी दूँगा : नेताजी सुभाष चन्द्र बोस"

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घोर अँधकार है, उजास माँगता है देश,
पतझड़ छाया, मधुमाश माँगता है देश,
कुर्बानियो का अहसास माँगता है देश,
एक बार फिर से सुभाष माँगता है देश॥

चँद काले पन्ने फाडे गये है किताब से,
इतिहास को सजाया गया खादी और गुलाब से,
पूछता हुँ क्यू सुभाष का पता नही,
कैसे कहूँ बीती सत्ता की कोई खता नही॥

एका-एक वो सुभाष जाने कहाँ खो गये,
और सारे कर्णधार मीँठी सो गये,
मानो या न मानो फर्क है साजिश और भूल मेँ,
कोई षड्यँत्र छुपा, समय की धूल में॥

गाँधी का अहिँसा मँत्र रोता चला जा रहा है,
देखिये ये लोकतँत्र सोता चला जा रहा है,
आजादी की आत्महत्या पर सभी क्यूँ मौन हैं,
इसकी खुदकसी के जिम्मेदार कौन है ?

अभी श्वेत खादी की ये आँधी नही चाहिये,
दस-बीस साल अभी गाँधी नही चाहिये,
खोये हुऐ शेर की तलाश माँगता है देश,
एक बार फिर से सुभाष माँगता है देश.....!!!
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1 टिप्पणी:

  1. उनका जैसा विराट और दूरदृष्टा काश स्वतन्त्र भारत का नेतृत्व कर पाता. जय हिंद. जय सुभाष.

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