वेसे तो आज हम गनतंत्र दिवस मानाने जा रहे हे, कहने के लिए आज़ाद भारत का गणतंत्र दिवस हे , पर क्या वास्तविकता में हम आज़ाद भी हुवे हे ? अंग्रेजो के आने से पहले जो हमारा भारत था जो हमारी संस्कृति थी क्या उसे संस्कृति के साथ आज हम जी रहे हे ? क्या अंग्रेजो के जाने के बाद हममे वो भारतीयता हे ? वास्तविकता तो ये हे की सिर्फ एक समजोता, सत्ता पलट और चेहर बदल जाने को ही हम आज़ादी मान बैठे हे और 1947 इसे के जश्न में दुबे हुवे हे ! लेकिन दोस्तों ये वो भारत नहीं हे जो हमारे शहीदों के सपनो का भारत था जिसके लिए नेताजी सुभाष चन्द्र बॉस, भगत सिंह, चन्द्रशेखर आज़ाद, झाँसी की रानी जेसे लोगो ने अपनी जान गवाई हे ! तो मेरे दोस्तों भारत माता के सच्चे सपूतो अब जगाने का वक़्त आ गया हे और भारत माँ को वो आज़ादी दिलाने का वक़्त आ गया हे जो सपना हमारे शहीदों ने देखा था ! विदेशी शिक्षा, विदेशी भाषा , विदेशी नीतिया, विदेशी कानून, विदेशी दवाइया यहाँ तक की विदेशी बहु इन सब को मिटा कर जिस दिन सब कुछ स्वदेशी होगा उस दिन भारत आज़ाद कहलायेगा ! और मेरा आप सब से एक और निवेदन हे की कल कोई भी "जन मन गन" ना गाये और ककी ये गान हमारे तिरंगे के लिए नहीं था ये गान तो एक अंग्रेज के लिए लिखा गया था ! जिस दिन हमारे देश में हमारा संविधान होगा उस दिन हम दिल से गणतंत्र दिवस मनाएंगे, हमारे पास तो आज हमारे खुद का संविधान भी नहीं हे ! वन्दे मातरम ! जय हिंद ! जय भारत !
काफी बदलाव की आवश्यकता है..
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