बालकृष्ण के प्रमाणपत्र असली होने का दावा
राधा-कृष्ण संस्कृत महाविद्यालय के प्रधानाचार्य नरेश चंद्र द्विवेदी ने योग गुरु रामदेव के सहयोगी बालकृष्ण के मध्यमा और शास्त्री के प्रमाणपत्र असली होने का दावा किया है जबकि सीबीआई इन प्रमाणपत्रों को फर्जी घोषित कर चुकी है। इस बीच खुफिया तंत्र ने अब आचार्य बालकृष्ण से संबंधित अन्य कागजात की जांच की तैयारी की है। उधर, आचार्य बालकृष्ण ने कहा कि अगर उनके खिलाफ कुछ गैर कानूनी मिलता है तो कार्रवाई की जानी चाहिए। सीबीआई जांच के दौरान फर्जी पाई गई डिग्री के बारे में उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार धूर्तता पर उतर आई है।
सीबीआई हरिद्वार में दर्ज करा सकती है केस
चर्चा यह भी थी कि सीबीआई दस्तावेजों की वैधता के मामले में हरिद्वार में मुकदमा दर्ज करा सकती है। हालांकि, एसएसपी केवल खुराना ने बताया कि इस तरह की कोई रिपोर्ट हरिद्वार में दर्ज नहीं कराई गई है। महाविद्यालय के प्रधानाचार्य नरेश चंद्र द्विवेदी ने कहा कि बालकृष्ण ने खुर्जा में रहकर पढ़ाई करने के बाद आचार्य की डिग्री हासिल की है। उन्होंने दावा किया कि बालकृष्ण ने खुर्जा में साल 1991 में पूर्व मध्यमा (हाईस्कूल के समकक्ष), साल 1993 में मध्यमा (इंटर के समकक्ष) और वर्ष 1996 में शास्त्री (स्नातक समकक्ष) की पढ़ाई की है। इसके अलावा बालकृष्ण ने वर्ष 1998 में आचार्य (परास्नातक समकक्ष, साहित्य विषय में एमए) की डिग्री उनकी देखरेख में पढ़ाई करके प्राप्त की। इसका रिकॉर्ड उनके पास मौजूद है।
डिग्री फर्जी बताने पर हैरानी जताई
प्रधानाचार्य ने बताया कि पूर्व मध्यमा और मध्यमा क्रमशः दो-दो वर्ष और शास्त्री की डिग्री तीन वर्ष में मिलती है जबकि आचार्य की डिग्री के लिए दो वर्ष पढ़ाई करनी होती है। प्रधानाचार्य ने सीबीआई द्वारा पूर्व मध्यमा और शास्त्री की डिग्री को फर्जी बताने पर भी हैरानी जताई। उन्होंने कहा कि बालकृष्ण शांत स्वभाव के मेहनती छात्र थे। वह ज्यादातर छात्रावास के कक्ष संख्या 10 में ही रहे। आचार्य की डिग्री लेते समय वह ज्यादातर रामदेव के साथ रहते थे। वह पांच छह साल पहले तक वह महाविद्यालय के संपर्क में बने रहे, लेकिन व्यस्त होने चलते महाविद्यालय में संपर्क कम हो गया।
सीबीआई हरिद्वार में दर्ज करा सकती है केस
चर्चा यह भी थी कि सीबीआई दस्तावेजों की वैधता के मामले में हरिद्वार में मुकदमा दर्ज करा सकती है। हालांकि, एसएसपी केवल खुराना ने बताया कि इस तरह की कोई रिपोर्ट हरिद्वार में दर्ज नहीं कराई गई है। महाविद्यालय के प्रधानाचार्य नरेश चंद्र द्विवेदी ने कहा कि बालकृष्ण ने खुर्जा में रहकर पढ़ाई करने के बाद आचार्य की डिग्री हासिल की है। उन्होंने दावा किया कि बालकृष्ण ने खुर्जा में साल 1991 में पूर्व मध्यमा (हाईस्कूल के समकक्ष), साल 1993 में मध्यमा (इंटर के समकक्ष) और वर्ष 1996 में शास्त्री (स्नातक समकक्ष) की पढ़ाई की है। इसके अलावा बालकृष्ण ने वर्ष 1998 में आचार्य (परास्नातक समकक्ष, साहित्य विषय में एमए) की डिग्री उनकी देखरेख में पढ़ाई करके प्राप्त की। इसका रिकॉर्ड उनके पास मौजूद है।
डिग्री फर्जी बताने पर हैरानी जताई
प्रधानाचार्य ने बताया कि पूर्व मध्यमा और मध्यमा क्रमशः दो-दो वर्ष और शास्त्री की डिग्री तीन वर्ष में मिलती है जबकि आचार्य की डिग्री के लिए दो वर्ष पढ़ाई करनी होती है। प्रधानाचार्य ने सीबीआई द्वारा पूर्व मध्यमा और शास्त्री की डिग्री को फर्जी बताने पर भी हैरानी जताई। उन्होंने कहा कि बालकृष्ण शांत स्वभाव के मेहनती छात्र थे। वह ज्यादातर छात्रावास के कक्ष संख्या 10 में ही रहे। आचार्य की डिग्री लेते समय वह ज्यादातर रामदेव के साथ रहते थे। वह पांच छह साल पहले तक वह महाविद्यालय के संपर्क में बने रहे, लेकिन व्यस्त होने चलते महाविद्यालय में संपर्क कम हो गया।
झूठा और डिग्री चोर हैं राहुल गाँधी?
अमर उजाला ब्यूरो
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