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लोकपाल भ्रष्टाचार के खिलाफ जनयुद्ध

भ्रष्टाचार के नियंत्रण हेतु लोकपाल प्रारूप के मुख्यबिन्दुः-

  1. दस सदस्यीय एक ऐसा संगठन बने जिसकी अध्यक्षता चेयरमैन करे।
  2. सी.बी.आई. का वह विभाग जो भ्रष्टाचार के मामलों को देखता है वह लोकपाल में मिला दिया जाए।
  3. सी.बी.आई. और सभी तरह की आंतरिक जांचों का लोकपाल में विलय कर दिया जाए।
  4. लोकपाल पूरी तरह से सरकार के नियंत्रण से मुक्त हो।
  5. लोकपाल को भ्रष्ट न्यायाधीश, ब्युरोक्रेट्स और राजनीतिज्ञों के खिलाफ कार्यवाई का अधिकार हो।
  6. लोकपाल को भ्रष्टाचार के खिलाफ जांच और दोषियों को सजा देने का अधिकार हो, इसके लिए उसे किसी भी एजेंसी से अनुमति की आवश्यकता  न पड़े।
  7. लोकपाल की कार्यप्रणाली पूरी तरह पारदर्शी हो।
  8. पीड़ित एवं शिकायतकर्ता को हर प्रकार की सुरक्षा देना लोकपाल की जिम्मेदारी हो।
  9. यदि आरोप सिद्ध हो जाते हैं तो दोषियों को सजा के साथ भ्रष्टाचार की रकम भी वसूली जाए।
  10. भ्रष्टाचार, रिश्वतखोरी, पदों का दुरुपयोग, कानूनी अधिकारों का दुरुपोयोग, विशेषाधिकारों के दुरुपयोग जैसी सामान्य शिकायतों पर भी आवश्यम्भावी सरलतम प्रक्रिया के अंतर्गत कार्यवाही सुनिश्चित होनी चाहिए।
  11. लोकपाल के सदस्य एवं मुख्य लोकपाल के चयन की प्रक्रिया पारदर्शी एवं जनता की भागीदारी से हो।
  12. लोकपाल के किसी भी अधिकारी के खिलाफ कोई भी शिकायत हो तो एक महीने के अन्दर उसकी पारदर्शी जाँच प्रक्रिया के माध्यम से हो।

भ्रष्टाचार के खिलाफ जनयुद्ध


जनता द्वारा तैयार लोकपाल  बिल भ्रष्टाचार के खिलाफ कैसे कारगर होगा?

वर्तमान व्यवस्था

प्रस्तावित व्यवस्था

तमाम सबूतों के बाद भी कोई नेता या बड़ा अपफसर जेल
नहीं जाता क्योंकि एंटी-करप्शन ब्रांच ;एसीबीद्ध और सीबीआई
सीध्े सरकारों के अध्ीन आती हैं। किसी भी मामले में जांच या
मुकदमा शुरु करने के लिए इन्हें सरकार में बैठे उन्हीं लोगों से
इजाज़त लेनी पड़ती है जिनके खिलापफ जांच होनी है।
प्रस्तावित कानून के बाद केंद्र में लोकपाल और राज्य में
लोकायुक्त  सरकार के अधीन  नहीं होंगे। एसीबी और सीबीआई
का इनमें विलय कर दिया जाएगा। नेताओं या अपफसरों के
खिलापफ भ्रष्टाचार के मामलों की जांच और मुकदमें के लिए
इन्हें सरकार की इजाज़त की ज़रूरत नहीं पड़ेगी। जांच
अध्कितम एक साल में और इसी तरह मुकदमे की सुनवाई भी
अध्कितम एक साल में पूरी कर ली जाएगी। यानि किसी भी
भ्रष्ट आदमी को जेल जाने में ज्यादा से ज्यादा दो साल
लगेंगे।
तमाम सबूतों के बावजूद भ्रष्ट अध्किारी सरकारी नौकरी पर
बने रहते हैं।  उन्हें नौकरी से हटाने का काम केंद्रीय सतर्कता
आयोग का है जो केवल क¢ंद्र सरकार को सलाह दे सकती है।
किसी भ्रष्ट आला अपफसर को नौकरी से निकालने की उसकी
सलाह कभी मानी नहीं जाती।
प्रस्तावित लोकपाल और लोकायुक्तों को ताकत होगी कि  वे
भ्रष्ट लोगों को उनके पद से हटा सके। केंद्रीय सतर्कता
आयोग और राज्यों के विजिलेंस विभागों का इनमें विलय कर
दिया जाएगा।
आज भ्रष्ट जजों के खिलापफ कोई एक्शन नहीं लिया जाता।
क्योंकि एक भ्रष्ट जज के खिलापफ क¢स दर्ज करने के लिए सी.
बी. आई. को प्रधन न्यायधीश  की इजाज़त लेनी पड़ती है।
लोकपाल और लोकायुक्तों को  किसी जज के खिलापफ जांच
करने व मुकदमा चलाने के लिए किसी की इजाज़त लेने की
ज़रूरत नहीं पड़ेगी।
आम आदमी कहां जाए? अगर आम आदमी भ्रष्टाचार उजागर
करता है तो उसकी शिकायत कोई नहीं सुनता। उसे प्रताड़ित
किया जाता है। जान से भी मार दिया जाता है।
लोकपाल और लोकायुक्त  किसी की शिकायत को खुली
सुनवाई किए बिना खारिज़ नहीं कर सकेंगे। आयोग भ्रष्टाचार
के खिलापफ आवाज उठाने वाले लोगों की सुरक्षा भी सुनिश्चित
करेंगे।
सी. बी. आई. और विजिलेंस विभागों का कामकाज गोपनीय
रखे जाने के कारण इनके अंदर भ्रष्टाचार व्याप्त है।
लोकपाल और लोकायुक्तों का कामकाज पूरी तरह पारदर्शी
होगा। किसी भी मामले में जांच के बाद सारे रिकार्ड जनता को
उपलब्ध् होंगे। इनके किसी भी कर्मचारी के खिलापफ शिकायत
आने पर उसकी जांच करने व उस पर ज़ुर्माना लगाने का काम
अध्कितम दो महीने में पूरा करना होगा।
कमज़ोर, भ्रष्ट और राजनीति से प्रभावित लोग एंटीकरप्शन
विभागों के  मुखिया बनते हैं।
लोकपाल और लोकायुक्तों की  नियुक्ति में नेताओं की कोई
भूमिका नहीं होगी। इनकी नियुक्ति पारदर्शी तरीके और जनता
की भागीदारी से होगी।
सरकारी दफ्रतरों में लोगों को बेईज्जती झेलनी पड़ती है।
उनसे रिश्वत मांगी जाती है। लोग ज्यादा से ज्यादा सीनियर
अध्किारियों से शिकायत कर सकते हैं लेकिन वे भी कुछ नहीं
करते क्योंकि उन्हें भी इसका हिस्सा मिलता है।
लोकपाल और लोकायुक्त किसी व्यक्ति का तय समय सीमा में
किसी भी विभाग में काम न होने पर दोषी अध्किारियों पर
250/- प्रतिदिन के हिसाब से ज़ुर्माना लगा सकेंगे जो
शिकायतकर्ता को मुआवजे के रूप में मिलेगा।
कानूनन भ्रष्ट व्यक्ति के पकड़े जाने पर भी उससे रिश्वतखोरी
से कमाया पैसा वापस लेने का कोई प्रावधन नहीं है।
भ्रष्टाचार से सरकार को हुई हानि का आकलन कर दोषियों
से वसूला जाएगा।
भ्रष्टाचार के मामले में 6 महीने से लेकर अध्कितम 7 साल
की जेल का प्रावधन है।
कम से कम 5 साल से लेकर आजीवन कारावास तक
सजा होनी चाहिए।



रवि शंकर यादव
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