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नीरा राडिया विदेशी एजेंट!

9 साल में 300 करोड़ रुपये बना लेने, विदेशी खुफिया एजेंसियों से संबंध होने और राष्ट्र विरोधी गतिविधियों में लिप्त होने की शिकायत मिलने के बाद गृह मंत्रालय की अनुमति से आयकर विभाग ने शुरू की फोन टैपिंग : विवादित कंपनी स्वान टेलीकाम के मालिक ए. राजा और नीरा राडिया हैं : एक लाख रुपये से बनी कंपनी की कीमत टेलीफोन सेवा देने का लाइसेंस मिलने के बाद दस हजार करोड़ रुपये हो गई कई उद्योगपति और बड़े नेता परेशान हैं कि कहीं उनकी बातचीत भी तो टेप नहीं हो गई गृह सचिव बोले- टेप किए गए फोनों का इस्तेमाल गलत लोगों के खिलाफ आरोप तय करने के लिए होगा :
नीरा राडिया से संबंधित कई और खुलासे सामने आ रहे हैं. आयकर विभाग का कहना है कि उनके यहां 16 नवंबर 2007 को शिकायत की गई थी नीरा राडिया विदेशी एजेंट है और राष्ट्र विरोधी गतिविधियों में लिप्त है, इसलिए इसकी जांच की खातिर उसके फोन की टेपिंग शुरू की गई. आयकर विभाग ने ये बातें सुप्रीम कोर्ट के सामने कही है. आयकर विभाग के अतिरिक्त निदेशक सुशील कुमार ने कोर्ट को बताया कि उनके यहां नीरा राडिया को लेकर जो शिकायत आई थी, उसमें कहा गया था राडिया ने नौ साल में 300 करोड़ का बिजनेस किया है, जो हैरतअंगेज है.
वित्त मंत्रालय को भेजी गई शिकायत के मुताबिक नीरा राडिया के विदेशी खुफिया एजेंसों से रिश्ते हैं और वह ऐसे काम भी कर रही है जो देश विरोधी है. इन सब शिकायतों के मिलने के बाद ही जांच शुरू की गई. जांच की प्रक्रिया में ही फोन टेप किए जाने का निर्णय लिया गया. फोन टेपिंग के लिए गृह मंत्रालय की लिखित अनुमति ली गई. नीरा राडिया की कुल 14 फोन लाइनें 180 दिनों तक (20 अगस्त 2008 से 120 दिन तक और फिर 11 मई 2009 से 9 जुलाई 2009 तक 60 दिन) टेप की जाती रही. बाद में आयकर महानिदेशक ने 23 दिसंबर 2009 को राडिया के 1450 कॉल रिकॉर्ड सीबीआई को सौंपे और चिट्ठी के जरिए सूचित किया कि नीरा राडिया की बातचीत के कुछ अंश बहुत संवेदनशील हैं. मई 2010 में सीबीआई ने आयकर महानिदेशक से 20 अगस्त 2008 से 9 जुलाई 2009 तक राडिया की पूरी रिकॉर्ड बातचीत के टेप उपलब्ध कराने को कहा. इस पर आयकर विभाग ने रिकार्ड बातचीत के सारे टेप सीबीआई को सौंप दिए. पहली बार अप्रैल 2010 में मीडिया के एक हिस्से तक सूचना पहुंची कि नीरा राडिया और अन्य के बीच बातचीत आयकर विभाग ने टेप की है और इसे सीबीआई को सौंपा है.
मई 2010 में भड़ास4मीडिया डॉट काम समेत कई ब्लागों, पोर्टलों पर नीरा राडिया टेप कांड की चर्चा शुरू हुई और यह भी खुलासा किया गया कि रिकार्ड की गई बातचीत में मीडिया दिग्गजों समेत उद्योगपतियों आदि की भी बातचीत है. साथ में वे डाक्यूमेंट (आयकर महानिदेशालय और सीबीआई के बीच पत्राचार से संबंधित दस्तावेज) भी प्रकाशित किए गए जिसमें उल्लेख था कि बरखा दत्त और वीर सांघवी ने नीरा राडिया से बातचीत की और इनके इशारे पर ए. राजा को केंद्रीय मंत्री बनाए जाने के लिए लाबिंग की. सेंटर फॉर पब्लिक इंट्रेस्ट लिटिगेशन (सीपीआईएल) ने दिल्ली हाईकोर्ट में टेप सार्वजनिक करने और 2जी स्पेक्ट्रम मामले की जांच की मांग संबंधी याचिका दायर की लेकिन तब याचिका खारिज कर दी गई. नवंबर 2010 में ओपन, आउटलुक, भड़ास4मीडिया आदि ने टेप की बातचीत का प्रकाशन किया जिसके बाद पूरे देश में हड़कंप मच गया. सीपीआईएल ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाई जिसके आधार पर केंद्र सरकार ने नीरा राडिया के सारे टेप सुप्रीम कोर्ट को सौंप दिए.
आयकर विभाग की जांच शाखा ने सुप्रीम कोर्ट से कहा है कि नीरा राडिया की बातचीत के टेप उसने लीक नहीं किए हैं. लेकिन आयकर विभाग ने इस पर कुछ नहीं कहा कि क्या बातचीत के टेप सीबीआई या किसी अन्य एजेंसी ने लीक किए हैं. ज्ञात हो कि रतन टाटा ने खुद की बातचीत को टेप किए जाने और लीक किए जाने को निजता पर हमला बताते हुए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है. सुप्रीम कोर्ट ने नोटिस जारी कर आयकर विभाग व अन्य जांच एजेंसियों से जवाब मांगा था. सुप्रीम कोर्ट को सूचित किया गया कि राडिया टेप लीक मामले की जांच के आदेश दे दिए गए हैं. पर अगर किसी मोबाइल कंपनी ने ही ये बातचीत लीक कर दी हो तो इसमें आयकर विभाग क्या कर सकता है. तब यह मामला दूरसंचार या अन्य किसी सक्षम मंत्रालय का होता है और वही कार्यवाही कर सकता है. सुप्रीम कोर्ट को सरकार ने सूचित किया कि मीडिया में टेप की बातचीत के प्रकाशन को रोकना संभव नहीं है, व्यावहारिक नहीं है.
उधर, नीरा राडिया के टेपों को लेकर कई बड़े उद्योग घराने हैरान-परेशान हैं. कई उद्योगपति गृह मंत्रालय के अफसरों से संपर्क करके पता कर रहे हैं कि कहीं उनकी बातचीत को भी तो रिकॉर्ड नहीं कर लिया गया है. गृह सचिव जीके पिल्लई ने पिछले दिनों यह कहकर कई बड़ों की बेचैनी बढ़ा दी कि जो टेप सार्वजनिक हुए हैं, वह टेप किए गए 5,000 रिकॉर्डिंग का मामूली हिस्सा भर है. इनका इस्तेमाल गलत काम करने वालों के खिलाफ आरोप तय करने में होगा. पिल्लई ने कहा कि जो टेप सामने आए हैं उनमें सिर्फ कुछ ‘रसदार बातें’ हैं, जो मीडिया को उत्तेजित करने में काफी हैं. ये टेप कर चोरी से संबंधित जांच से जुड़े नहीं हैं. रिपोर्ट में पिल्लई के हवाले से कहा गया है कि जांच का बहुत सारा हिस्सा ऐसा है जो अभी सामने ही नहीं आया है.
एक अन्य जानकारी के मुताबिक 2जी स्पेक्ट्रम घोटाले में फंसी विवादास्पद कंपनी स्वॉन टेलीकॉम के असली मालिक पूर्व संचार मंत्री ए. राजा और नीरा राडिया हैं. हालांकि सीबीआई और इनकम टैक्स विभाग सुप्रीम कोर्ट के सामने साफ-साफ ये नहीं कह पा रहे हैं पर राडिया के टेप हुए फोन रिकार्ड यही बता रहे हैं कि स्वान टेलीकाम के असली मालिक राजा-राडिया हैं. आयकर विभाग द्वारा टैप की गई राजा-राडिया वार्ता में स्वीकारा गया है कि स्वॉन टेलीकॉम में उनके शेयर हैं और वे जल्द ही इसके निदेशक बोर्ड में अपने लोगों को नियुक्त करेंगे. मालूम हो कि स्वॉन टेलीकॉम को एक लाख रुपए की लागत से 2007 में स्थापित किया गया था. जनवरी 2008 में उसे 13 सर्किल में टेलीफोन सेवाएं देने का लाइसेंस मिल गया. इसके फौरन बाद कंपनी का मूल्यांकन 10 हजार करोड़ रुपए हो गया क्योंकि उसके 45 प्रतिशत शेयर दुबई की इटिसलाट ने 4500 करोड़ में खरीद लिए. यानी साल भर में कंपनी की कीमत एक लाख से बढ़कर दस हजार करोड़ रुपए हो गई. आयकर विभाग का मानना है कि इसमें लगा पैसा विदेशों से राउंड ट्रिपिंग के जरिए लाया गया. इसमें राजा और राडिया की हिस्सेदारी की जांच हो रही है.
स्वान की कहानी काफी रोचक है. इस कंपनी को अनिल अंबानी ने स्वॉन कैपिटल के नाम से बनाया था. तब अनिल को लग रहा था कि रिलायंस कम्युनिकेशन को जीएसएम का लाइसेंस नहीं मिलेगा. लाइसेंस के लिए आवेदन करते समय इसका नाम स्वॉन टेलीकॉम कर दिया. लेकिन रिलायंस कम्युनिकेशन को डुअल टेक्नोलॉजी की इजाजत मिल गई. तब स्वॉन टेलीकॉम के सारे शेयर टाइगर ट्रस्टीज नामक कंपनी को बेच दिए गए. इस कंपनी ने अपने 9.9 प्रतिशत शेयर मारीशस की डेल्फी इन्वेस्टमेंट्स को बेच दिए. डेल्फी इन्वेस्टमेंट्स के मालिकाना हक की अभी जांच हो रही है. बाकी बचे हुए 90.1 प्रतिशत शेयर मुंबई की रियल इस्टेट कंपनी डायनामिक्स बलवास के पास हैं. इसके मालिक मुंबई के शाहिद बलवा और विनोद गोयनका हैं.
दिसंबर 2009 में स्वॉन टेलीकॉम के 5.8 प्रतिशत शेयर एक अनजान कंपनी जेनेक्स एक्जिम वेंचर्स ने 380 करोड़ रुपये में खरीद लिए. इसके निदेशक बोर्ड में दुबई की ईटीए स्टार समूह के सलाहुद्दीन, मोहम्मद हसन और अहमद शकीर आदि थे. स्वॉन टेलीकॉम ने ग्रीनहाउस प्रामोटर्स नाम की कंपनी के 49 प्रतिशत शेयर 1100 करोड़ रुपए में खरीदने की इच्छा जताई. इस कंपनी के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स में राजा की पत्नी परमेश्वरी दोनों थीं. उनका पता भी राजा का दिल्ली स्थित सरकारी आवास था. ग्रीनहाउस और और इक्कुवस एस्टेट्स नाम की दो कंपनियां राजा के करीबी सादिक बाचा ने 2004 में बनाई थीं. दोनों में परमेश्वरी डायरेक्टर थीं और लेकिन जनवरी 2008 में पूर्व गृहमंत्री शिवराज पाटिल के बेटे द्वारा अपनी कंपनी को पिता के सरकारी आवास से चलाने को लेकर हुई भद्द के कारण फरवरी में राजा ने दोनों कंपनियों से पत्नी का इस्तीफा कराया.

रवि शंकर यादव
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